नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश में भाजपा के भविष्य की राजनीति का खाका दिल्ली में करीब-करीब तय कर लिया गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दिल्ली की बैठक में साल 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्तव में लड़ने का फैसला लिया गया है। इससे भी महत्तपूर्ण निर्णय यह माना जा सकता है कि दूसरे पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चेहरा नहीं होंगे।
संघ का मानना है कि क्षेत्रीय नेताओं के मुकाबले प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के सामने रखने से उनकी छवि को नुकसास हुआ है। विरोधी बेवजह उन्हें निशाना बनाते हैं। संघ किसी भी नेता को अलग करने या नाराजगी के साथ छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। अब इस पर योगी को खरा उतरना है। महाराष्ट्र में शरद परिवार को साथ लाने पर भी विचार हो रहा है।
सूत्रों की बात मानी जाए तो बैठक में कहा गया कि खासतौर से पूर्वी उत्तर प्रदेश में योगी की इमेज मुसलमान विरोधी नहीं है और गोरखपुर के साथ जुडे इलाकों में मुसलमान और पिछड़ों में गोरखनाथ मंदिर पर भरोसा है। मुख्यमंत्री बनने से पहले तक योगी आदित्यनाथ मंदिर के महंत के तौर पर स्थानीय मुसलमानों के विवाद मंदिर में बैठकर सुलझाते और उनकी मदद भी करते रहे हैं।